भोपाल में सोमवार को आत्महत्या के तीन अलग-अलग मामले सामने आए। एक बीटेक छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी, एक व्यक्ति ने 28 साल से चली आ रही मानसिक बीमारी से परेशान होकर फांसी लगाई और तीसरे व्यक्ति ने पत्नी से विवाद के बाद ससुराल में खुद को आग के हवाले कर दिया। तीनों मामलों में पुलिस जांच कर रही है।
पहला मामला अयोध्यानगर थाना क्षेत्र के नरेला शंकरी का है। यहां बैतूल के आटनेर निवासी 20 वर्षीय सोहन देशमुख सागर कॉलेज में बीटेक की पढ़ाई कर रहा था और किराए के कमरे में रहता था। रविवार को उसकी परिजनों से बात हुई थी, लेकिन सोमवार सुबह उसने फोन नहीं उठाया। शंका होने पर परिवार ने दोस्तों को कमरे पर भेजा। दरवाजा अंदर से बंद था, तो दोस्तों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने दरवाजा खोला तो वह फांसी के फंदे पर झूलता मिला। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
दूसरा मामला चूनाभट्टी सी सेक्टर का है। यहां 44 वर्षीय वीरेंद्र सिंह नेगी ओसीडी नामक मानसिक बीमारी से 28 साल से पीड़ित थे और घर में ही रहते थे। सोमवार सुबह करीब 11 बजे उन्होंने कमरे में फांसी लगा ली। उनके पास से मिला सुसाइड नोट बताता है कि वह बीमारी से परेशान होकर अब और जीना नहीं चाहते थे और परिवार को परेशान न करने की अपील भी की। घटना के समय उनकी मां और बड़े भाई बैंक गए हुए थे। लौटकर आने पर उन्होंने वीरेंद्र को फांसी पर लटका हुआ पाया।
तीसरा मामला पिपलानी थाना क्षेत्र का है। बरखेड़ा पठानी के कृष्णानगर में रहने वाले 47 वर्षीय रितेश उर्फ नितेश साहू ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम करते थे। रक्षाबंधन के दिन उनका पत्नी से विवाद हुआ, जिसके बाद पत्नी घर छोड़कर चली गई। कुछ देर बाद रितेश ससुराल पहुंचे और वहां विवाद करने के बाद खुद को आग लगा ली। वह 60 प्रतिशत से ज्यादा जल गए थे और इलाज के दौरान रविवार रात उनकी मौत हो गई।
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